साहित्य के इस मंच पर,
मेरी,
मेरे किशोरावस्था से लेकर आज तक कि, सारी कविताये, गीत, लेख और कहानिया, गुजराती, हिंदी एवं मराठी भाषामे,
साहित्यके इस वैश्विक मंच (प्रतिलिपि) पर, प्रस्तुत कर रहा हूं, ओर यह कार्य अभी भी चालू है।
बहुत बड़ा खजाना है, मगर फिर भी, सागर में सिर्फ एक बूंद के समान है।
साहित्यका यह सागर, जो कभी भी खत्म नही होता, इस मे अच्छा भी जानने मिलता है, ओर बुरा भी, आप क्या चाहते हो ये आप की प्रकृति पर निर्भर करता है।
आपको पसंद आये, या पसंद न आएं, मगर आपके अभिप्राय का इंतज़ार रहेगा। जिस से मेरा मनोबल बढ़ेगा, ओर अगर कहीं गलती हो रही हो तो में उसे सुधारने की कोशिश कर सकू।
धन्यवाद
आपका,
"नटवर केशवजी गांगाणी"
"છટકબારી" उर्फ ".....ભગ્ગો....." के
जय श्री कृष्ण
जय श्री राम
जय माताजी
जय बजरंग बली
हर हर महादेव