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ये बडी़ बड़ी इमारतें मूजे अंदर ही अंदर दफना रहीं हैं, न जाने कई दिनों से मुजे मेरे गांव की याद आ रही हैं, वहां लोग इतनें खास तो नहीं जिनसे मिलने को बेताब हूं, बस मेरी माँ है जो मूजे खत लिख कर ...
હું તો મન ને જીતવા ચાલ્યો રે..!!