हकीकत नहीं वो ख्वाब जैसी है, वो लड़की एक दम गुलाब जैसी है! मिट जाती सारी तन्हाई जिसे देखकर, वो लड़की कुछ-कुछ शराब जैसी है! सो जाता हूँ हर रोज मैं जिसे पढ़ते-पढ़ते, वो लड़की उस पसंदीदा किताब जैसी ...
हकीकत नहीं वो ख्वाब जैसी है, वो लड़की एक दम गुलाब जैसी है! मिट जाती सारी तन्हाई जिसे देखकर, वो लड़की कुछ-कुछ शराब जैसी है! सो जाता हूँ हर रोज मैं जिसे पढ़ते-पढ़ते, वो लड़की उस पसंदीदा किताब जैसी ...