किस को क्या मिला इसका कोई हिसाब नही तेरे पास रूह नही मेरे पास लिबास नही जेशे ऊपर उठाने में वक्त लगता है फिर ओ सूरज ही क्यों न हो धीरे धीरे उगता है
किस को क्या मिला इसका कोई हिसाब नही तेरे पास रूह नही मेरे पास लिबास नही जेशे ऊपर उठाने में वक्त लगता है फिर ओ सूरज ही क्यों न हो धीरे धीरे उगता है