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one minute story ...(3)

4.5
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किस को क्या मिला इसका कोई हिसाब नही  तेरे पास रूह नही मेरे पास लिबास नही जेशे ऊपर उठाने में वक्त लगता है फिर ओ सूरज ही क्यों न हो धीरे धीरे उगता है

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લેખક વિશે

तुजे याद कर लिया है आयात की तरह अब तेरा जिक्र हो इबादत की तरह.

ટિપ્પણીઓ
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    06 એપ્રિલ 2019
    ખૂબ સુંદર.👍
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    05 એપ્રિલ 2019
    ☺👍 ખૂબ સરસ.
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